मेरी परिकल्पना की दुनिया में आपका स्वागत है. यदि मेरी कल्पना में कोई सच दिखता है तो इसे मात्र एक सयोंग ना माना जाये...........

रविवार, नवंबर 06, 2011

याद -1

तुम्हे बाहों में भरना मेरी याद बन गयी है

तुम्हारी मुस्कराहट की आवाज़े मेरी ताकत अब क्यों नहीं है

जाने क्यों ऐसा लगता है मैं फिर से खुश होऊंगा 

बालो में तुम्हारे फिर फूल लगाऊंगा 

तुम्हारी निगाहों को आखिर कब मैं अपने में उतारूंगा,

दिल में बसी हुई तुम, कब सामने आओगी

नाराज़ हो, तोडा था मैंने तुम्हारा दिल, मैंने अब माना है

वापस आ जाओ मेरे पास, तुम अब नहीं रोओगी ||

गौरव कुलकर्णी  याद -1