मेरी परिकल्पना की दुनिया में आपका स्वागत है. यदि मेरी कल्पना में कोई सच दिखता है तो इसे मात्र एक सयोंग ना माना जाये...........

बारिश का मौसम - कविता

बारिश का मौसम 
ये हैं बारिश का मौसम,
पतझड़ से सूखे हुए पेड़ के निर्वासित (हरे-भरे ) होने का मौसम,
तितलियों के छोटी छोटी बूंदों से लथपथ फूलो पैर बैठने का मौसम,
भीगना पसंद करने वाली युवा-पीढ़ी का मौसम,
सुखी हुई नदी के चीढाने का मौसम,

छिपे हुए सूरज को खुली आँखों से ललकारने का मौसम.
रोती हुई बच्ची के आंसुओ का बूंदों की आड़ में छुपने का मौसम,
कपड़ो के बराबर न सुख पाने की गंध का मौसम,
किनारे पड़ी हुई धुल-मिटटी के पानी से मिलन का मौसम,

अदरक वाली चाय और गरमा-गरम पकोड़े के स्वाद का मौसम,
किसान के चेहरे पैर चिपकी हुई परेशानी के जाने का मौसम,
गिरती हुई बूंदों के महक भरे संगीत का मौसम,
छत के सुराख से निकली हुई टप-टप को बर्तन में समेटने का मौसम,

दबे हुए रेनकोट, बंद पड़े छातों के चमकने का मौसम,
नालो का , नदी का, कूड़े का, करकट का गले मिलने का मौसम,
 चिड़ियाओ की चहचहाट, मोर के नाच का मौसम,
एक-दुसरे पर उछले हुए किचड़ो के धुलने का मौसम,
गर्मी  के थपेड़ो की विकत धर की मनहूस ख़ामोशी के विलुप्त होने का मौसम,
भरे हुए काले बादलो की गडगडाहट से आगाज़ केर बरसने का मौसम,
ये हैं हमारी बारिश का मौसम |

- गौरव कुलकर्णी

कोई टिप्पणी नहीं: