परिकल्पना
मेरी परिकल्पना
की दुनिया में आपका स्वागत है. यदि मेरी कल्पना में कोई सच दिखता है तो इसे मात्र एक सयोंग
ना
माना जाये...........
मेरे अन्य लेख
मुखपृष्ठ
बारिश का मौसम - कविता
अन्य लेख
रविवार, सितंबर 25, 2011
अहसानों से लदे हुए उस फूल को
जब याद दिलाते हैं उसकी खुशबू
सीना तान के खिलखिलाकर
समझता हैं अपने आपको को राजा
पौधे (पेड़) को समझता जब वो अपना दास
तभी माली यमदूत बन कर उसे दिखता
काट ले जाता उसका घमंड अपने साथ |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें