मेरी परिकल्पना की दुनिया में आपका स्वागत है. यदि मेरी कल्पना में कोई सच दिखता है तो इसे मात्र एक सयोंग ना माना जाये...........

बुधवार, अगस्त 15, 2012

देश में तुम हो इसका अहसास होने दो

I love India
रगों में बहते इस खून को ललकारने का समय दो ,
आंधी तुफानो में रहकर ,
दूर  भगाओ अब के इन फिरंगियों को ,
अपने आप में इस आग की ज्वाला को जलने दो ,
देश में तुम हो इसका अहसास होने दो ।

रोती बिलखती आवाज़ से सने कानों को रुकने न दो ,
उन्ही आसुओ से सींच आंगन अपना महका दो ,
पल में जाती पल में बढती उस क्रांति की तरंग को बुझने न दो 
देखो समय अपना है, देश हमारा है, इसे य़ू जाने न दो 
देश में तुम हो उसका अहसास होने दो 

द्रोही के मौके को दबोचना सीखो 
बलिदान की लहर में बहना सीखो 
क्रोध का दीपक एक कोने में जलने दो 
राह में आती विपदाओं में हँसना सीखो 
ऊँगली छोड़ देश के लिए चलना सीखो 
देश में तूम हो इसका अहसास होने दो  

गौरव कुलकर्णी 



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