खो भी जाओ तो यादो को जलाओगे कैसे
तमन्ना में समां के तुम भूला दिए जाओगे कैसे
मुश्किल हैं अलग राह बनाना
पर मुश्किल कहा मुझे अपना बना रही हैं तुम्हारे जैसे
भीड़ में गुम हो जाऊ तो कह देना गलती
पर उसी भीड़ से तुम्हे ना देखू तो गुस्ताखी
मजबूर कंधो पर क्या क्या रखु रोते-हँसते |
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चलती हुई कश्ती पर भी तुम्हारा नाम लिख दिया था
तुमने भी हस कर कश्ती को सहारा दिया
हदे अभी पार भी नहीं हो पाई थी
कि तुम्हे देखने वाले उसी भौचक मालिक ने देख लिया
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पाना चाहता था मैं उसे
डर था मन में इस कदर
की बगैर पाए होश रहेगा की नहीं
जैसे होठ कह पड़े
बिना आँख झुकाये उसे देख कर
जिनकी बांहों की याद समझने में
मेरे सालो बीत गए ||
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उन पलों में जब मैं ढूंढता था ख़ुशी
याद बनते देख कभी कभी आ जाती थी हँसी
उन भयानक मंजरो से झुझा हुआ मैं
पता नहीं कब तक लड़ता रहूँगा
उन्हें भुला पाना इतना आसान होता तो
यादो का कचूम्मर बना देता
पल पल सिसकिया लेते आखिर मैंने
पा ही लिया खुशियों का खजाना
भले ही थोड़े समय, पर भरोसा टूटने से बचा लिया ||
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